मीलों तक छाया सन्नाटा,
बस अँधेरे रौशन हैं यहाँ,
वीरान गलियों से गुजर कर,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
खामोश वादियों के बीच,
ख़ामोशी के आलम में,
अपने ही साये से बोलता,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
कुछ धूमिल खवाब संजोए,
कुछ धूमिल आशाएँ लेकर,
निकला एक काफिला था,
मेरे कदम थम गये क्यूँ ,
काफिले से बिखर कर,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
सदियों से अकेले,
एक मुसाफिर चल रहा है,
एक खोया राहगीर बनकर,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
कुछ लम्हें फिसल रहे हैं,
मंजिलें हैं ओझल,
लम्हों को बटोरता,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
मेरी मंजिल न जाने कहाँ है,
मेरी चाह न जाने क्या है,
एक कब्रिस्तान की ख़ामोशी में,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
Rohit
-Image source:Google Images
बस अँधेरे रौशन हैं यहाँ,
वीरान गलियों से गुजर कर,
खामोश वादियों के बीच,
ख़ामोशी के आलम में,
अपने ही साये से बोलता,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
कुछ धूमिल खवाब संजोए,
कुछ धूमिल आशाएँ लेकर,
अनजाने सपनों को तलाशता,
न जाने मैं कहाँ आ गया !निकला एक काफिला था,
मेरे कदम थम गये क्यूँ ,
काफिले से बिखर कर,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
सदियों से अकेले,
एक मुसाफिर चल रहा है,
एक खोया राहगीर बनकर,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
कुछ लम्हें फिसल रहे हैं,
मंजिलें हैं ओझल,
लम्हों को बटोरता,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
मेरी चाह न जाने क्या है,
एक कब्रिस्तान की ख़ामोशी में,
न जाने मैं कहाँ आ गया !
Rohit
-Image source:Google Images
17 comments:
बहुत ही सटीक और भावपूर्ण रचना। धन्यवाद।
बहुत ही सटीक और भावपूर्ण रचना। धन्यवाद।
theres a depth in this poem..
good writing...
nice to see ur blog.
best wishes.
बहुत ही सुंदर कविता...
sahi pucha hai aapne khudh se.... ki jaane main kahan aa gaya..... bhaut acchi rachna abhivaykti..........
sunder likhe hain......
such meaning and depth in these lines. and the hindi just adds an extra touch to its enjoyment.
what's dhoomil? i dont know what it means :(
Awesome man!!! Your poem depicts the true feelings of any man alive on Earth!!
Superb! Awesome! and fabulous...Rohit yaar tumne tau kammal kar diya, kuch samay ke liye mujhe viraan kar diya:) Tumne Bahut accha likha...mere liye ye poem ek inspiration ka kaam karegi....Keep writing:)
बहुत ही खूबसूरत रचना ....रोहित हर लाइन दिल में उतर गयी ....आखिरी बस दिल में समां गयी . सुंदर प्रस्तुति
ख्वाब संजोय रखें ... आशाएं जीवित रखें ... मंजिल मिल जायगी ... जहां भी होँ ...
A very touching poem. Pls write more.
Rahit, bahut hi khoob!!
Ek badhia poem ki pehchaan, last line! I will remember this for a long time...
*tweeted your blog!
~ Chintan
मनोभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति.
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
Nicely expressed...we all feel like this sometimes in life...
Quite realistic!
Mani
Beautiful. I can relate myself to this post. Looks like we are in same boat.
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